ताना दिया उन्होंने
छोटी सोच वाला
मेरी दृष्टि में तो
शायद अकारण ही
फिर जाना कारण
छोटी जगह से था
धीरे-धीरे वही सब
मुरीद हो गए थे
काबिलियत के मेरी
उन्हें आश्चर्य होता
मेरे ज्ञान और बुद्धि पर
प्रवीण जो हो गया था
अब में अंग्रेजी में भी
अब वो हल्की बातें
हमारे फूहड़ मित्रो की
प्रायः भा जाती थीं
'बड़ी सोच' वालों को
हमारे बचपन के ज्ञान को
वो आज भी नया समझते
और अब समझ गए थे
मेरा स्तर और बड़ी सोच
जिससे वे अनभिज्ञ ही रहे
अपने छोटी सोच के चलते
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