आओ प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी
मैं अपना करवा चौथ का व्रत करुँगी
तुम्हारे वर्ष भर के अत्याचारों को भी
एक बार फिर से आज बिसरा ही दूंगी
तुम्हारे कर्म-कुकर्म जान कर के भी
मैं तुम्हें सुधरने का नया अवसर दूंगी
तुम्हारी समस्त त्रुटियों को जान बूझकर
मैं इस अवसर पर फिर माफ़ कर दूंगी
मेरा क्या! मैं तो अपना धर्म निभाऊंगी
हाँ मैं तो करवा चौथ अवश्य मनाऊँगी
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