मेरे कानों को बस छूती सी
सर्द हवा के झोंके ने पूछा
मौसम कैसा है अब?
बस वसंत आ गया है;
सर्दी कम हो जाएगी
गर्मी भी कम ही होगी
मैंने उत्तर दे दिया!
उसने फिर प्रश्न किया
कारण जानते हो?
फिर स्वयं ही कहा
मैं ही अब वेश बदल
वसंत की बयार बनूँगा
वरना वसंत में भी तुम
गर्मी का एहसास करोगे!
जिसे सर्दी का कारण कहो
वही कल वसंत बयार होगा!
1 comment:
उदय जी, वसंत ऋतू पर आपकी ये रचना बहुत ही सार्थक और मजेदार है.. कृपया ऐसी रचनाएँ लिखते रहें और हमारा ज्ञानबर्धन करते रहें . धन्यवाद
with warm regards,
Anil Arya
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