Monday, March 21, 2011

अरमान

आज फिर भीगे भीगे मौसम में
भीगे भीगे जाते हैं मेरे अरमान
बारिश की बूंदों की टिप टिप से
टपकने लगते हैं मेरी आँखों से
कितनी शिद्दत से संभाले हुए थे
ये अरमानों के सब मोती हमने
एक बरसात बहा ले चली इनको
अब कौन रुख करेगा इनकी ओर
गर्मियों के सूखे मौसम में यहाँ
फिर बहारें कब आएँगी क्या मालूम
आबाद होंगे अरमानों के गुलशन

No comments: