Sunday, March 27, 2011

निगाहों की भाषा

क्या कुछ कह जाती है
ये निगाहों की भाषा
वो सब भी कह जाती है
जो जुबान नहीं कह पाती
पर मन कहना चाहता है
नज़र के पारखी लोग भी
समझ लेते हैं सब अंदाज़
और क्या कहना चाहती है
ये निगाहों की भाषा
मन के समन्दर से निक़ल
बस एक बूँद सी प्रकट हो
भावनाओं की बाढ़ में बदल
बहुत कुछ कह जाती है
ये निगाहों निगाहों की भाषा