Wednesday, March 16, 2011

बादल

कहीं दूर से आज मुझे
किसी बादल के टुकड़े ने
अपनी ओर आकर्षित किया
मेरा ध्यान केन्द्रित था
उस एक छोटे बादल पर
कुछ और टुकड़े आये
उसके आस पास से
फिर धीरे धीरे एकाकार हो
बादल समूह में बड़ा होने लगा
सफ़ेद रंग स्याह हो चला
कुछ समय में ही बादल
पूरे आकाश पर छा गया
गरज के साथ बिजली कडकी
फिर वारिश के बाद
बादल छटे, धूप निकल आई
बादलों का कहीं नाम न था
ठीक हमारी ज़िन्दगी की तरह
प्राकट्य से लेकर जीवन्त, और
अदृश्य होने तक की कहानी

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