Sunday, September 11, 2011

शिकवे

मौसम कह रहा है हवा से, आज तुम भी धीरे बहो
कर लेने दो शिकवे औरों को; आज तुम चुप ही रहो
रोक लो उन अल्फ़ाज़ को, जो भी तुम कहना चाहो
फिर सही कभी कह लेना; आज तुम कुछ न कहो

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