मेरा तुम्हारा नाता बस
इसी जहान तक का है
यूँ भी इसके बाद कुछ नहीं
ये आभास है मुझको
मेरे जाने के बाद भी क्या
रखोगे तुम याद मुझको
या 'आत्मा की शांति ' चाहकर
बस भूल जाओगे मुझको
मैं तो चला ही जाऊंगा
तुम्हें ख़ुशी की दुआएँ देकर
खुशियाँ मिलने पर भी तुम
शायद भूल जाओगे मुझको
मेरी आत्मा शांत हो जाएगी
मेरे जाने से पहले ही जब
तुम भूल जाओगे मुझको
1 comment:
wonderful in wordings !! deep in thoughts ... and awesome poem...!
in oneword : BAHUT KHOOB !!!
Post a Comment