Wednesday, September 7, 2011

आत्मा की शांति

मेरा तुम्हारा नाता बस
इसी जहान तक का है
यूँ भी इसके बाद कुछ नहीं
ये आभास है मुझको
मेरे जाने के बाद भी क्या
रखोगे तुम याद मुझको
या 'आत्मा की शांति ' चाहकर
बस भूल जाओगे मुझको
मैं तो चला ही जाऊंगा
तुम्हें ख़ुशी की दुआएँ देकर
खुशियाँ मिलने पर भी तुम
शायद भूल जाओगे मुझको
मेरी आत्मा शांत हो जाएगी
मेरे जाने से पहले ही जब
तुम भूल जाओगे मुझको

1 comment:

Nandini said...

wonderful in wordings !! deep in thoughts ... and awesome poem...!

in oneword : BAHUT KHOOB !!!