कितनी भी दूर से नज़ारा कर लूं मैं
पर मेरे कितने करीब है ये ज़िन्दगी
सब कुछ सह लेते है इसकी ख़ातिर
है कैसा ये हसीन ज़ज्बात ज़िन्दगी
रोज़ नये नए रंगों में इठलाती सी है
क्या ख़ूबसूरत एहसास है ज़िन्दगी
कब किस करवट बैठे ये मालूम नहीं
चलते रहते भी ठहरी सी है ज़िन्दगी
इस गुज़रते वक़्त के चलते भी मानो
एक थमा हुआ सा वक़्त है ज़िन्दगी
पाने खोने के सिलसिले के बीच भी
कुछ पास होने का एहसास ज़िन्दगी
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