Sunday, September 18, 2011

विगत एहसास


लगता है फिर जम के बरसेंगे बादल आज
फिर बहेगी बयार भी वर्षा की नमी के साथ
बारिश की बूँदों से टपकेगा एक नया संगीत
भीगे भीगे मौसम में फिर कोई गुनगुनाएगा
एक बेहद रूमानी संगीतमय सुरीला सा गीत
कोई राग किसी की यादों में फिर ले जायेगा
पँछी छुपेंगे किसी डाली के बीच बने कोटर में
लोग खिडकियों से झांकेंगे भीगते मंज़र को
किसी गुदगुदाते मीठे विगत एहसास के साथ
वही मस्त अल्हड़पन से महकती यादों के साथ
कौन कहता है ये सिर्फ सावन का नज़ारा है!

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