सोचते ही रह गए थे हम वक़्त निक़ल गया
अब लगता है कि शायद कह ही दिया होता
जो शुरू ही न हुआ उसका सोचते हैं अंज़ाम
कह कर तो बस एक बार हमने देखा होता
कह अगर देते हम अपनी ही ओर से सही
क्या मालूम अंज़ाम कुछ और हुआ होता
कोशिश की होती तो ही होता मालूम हमें
नहीं मालूम हमें इक़रार होता या न होता
उनकी न भी ज़रूर क़बूल ही हुई होती हमें
तसल्ली होती चाहे इनक़ार ही हुआ होता
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