Sunday, April 8, 2012

कारण?

मैं व्यर्थ ही प्रयासरत था
इस धरा को ही जगाने में
ये धरती तो सदैव से मौन है
शांत, अनासक्त किन्तु साकार
यहाँ के वृक्ष और पादप भी
मात्र मूकदर्शक ही तो हैं
ये कभी प्रतिकार नहीं करते
फिर भी साक्षी अवश्य हैं
जीव-जन्तुओ और मानव के
निरंतर बढ़ते कोलाहल के
इन्होंने अपना सब अर्पण किया
जब भी किसी ने छीना है
इनके हिस्से में ही आते हैं
न जाने फिर क्यों फिर भी
दावानल और बाड़वानल
ठीक स्त्रियों की तरह ही
शायद मूक रहने के कारण?

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