ये हमें भी लगा था कि कुछ होने को है
बस धीरे धीरे पास को सरक रहे थे हम
क्या लम्हे और क्या आलम था वो भी
अपनी ही धुन में जब मटक रहे थे हम
वो लम्हे अब भी भुलाये नहीं भूलते हैं
कितनी ख़ुशी से बस चहक रहे थे हम
एक पल को भी हमें ये एहसास न हुआ
अपनी ही ज़िन्दगी से भटक रहे थे हम
हम भी क्या करते ये बताओ तो भला
उनकी सादगी से ही बहक गए थे हम
कुछ वक़्त के लिए ही वो लम्हे थे सही
उनकी अदायगी से ही महक गए थे हम
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