दिल का मामला है कभी कभी
बड़े तंज़ भी क्या अदा से कहे
दोधारी तलवार से लगते कभी
जो भी हो बात मोहब्बत की है
जानकर अनजान होते हैं सभी
बस हँसी है कि रूकती नहीं है
बड़ा ही मसखरा है ये दिल भी
समझना समझाना सब छोड़
खुद ही लगता है हँसाने कभी
रात की दिन से करता चुगली
दिन भर सोता है कभी कभी
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