Sunday, October 26, 2014

मसखरा

कितनी आसानी से कह दिया
दिल का मामला है कभी कभी
बड़े तंज़ भी क्या अदा से कहे
दोधारी तलवार से लगते कभी
जो भी हो बात मोहब्बत की है
जानकर अनजान होते हैं सभी
बस हँसी है कि रूकती नहीं है
बड़ा ही मसखरा है ये दिल भी
समझना समझाना सब छोड़
खुद ही लगता है हँसाने कभी
रात की दिन से करता चुगली
दिन भर सोता है कभी कभी

No comments: