Sunday, October 5, 2014

मन में बचपन

बचपन की कहानियाँ
छोटी-छोटी बात
आज भी याद है
छोटी चीज़ों से
छोटी-छोटी खुशियाँ
कितनी बड़ी लगती थीं
कल की सी बात है
बड़ी बातें बस सपने
जो मिले उसी में तसल्ली
दोस्ती ज़्यादा नफ़रत कम
पराये भी अपने
सब कुछ साझा
कोई कैसे भूल सकता है
अब बड़े हो गए हैं
सपने भी बड़े हैं
अपने भी पराये हैं
दोस्ती कम है
साझा कुछ नहीं है
खुशियाँ नदारद हैं
छोटी समझ में नहीं आती
बड़ी भी छोटी लगती हैं
शुक्र है दिल से सही
मेरे मन में मैंने
बचपन संजो रखा है

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