रहस्यमयी कभी
कभी खुलासा करती
कुछ जानी सी आवाज़ें
मानो रंगमंच में यहाँ
नेपथ्य से करता मदद
देकर संकेत मुझे
मेरे संवाद सुनाकर
खुसुर पुसुर से अपनी
याद दिला रहा हो
मेरे किरदार का भान
अनजानी नहीं लगतीं
शायद पहचानी सी
ये मेरे अंतर्मन की
या अन्तर्निहित होंगी
किसी से सुन संजोई
जिसकी भी हैं आवाज़ें
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