Sunday, April 5, 2015

नशा सा

फिर मचलते हैं अरमां आज
हवा के झोंके संग
ऐसी खुशबू अब तक न थी
हवाओं में
जादू सा छाने लगा है
नस-नस में
ये किसने बेकस किया मुझको
कौन है जो तन मन में छाने लगा है
आके कोई मुझे बता भी दो
मैं हूँ इंतज़ार में
फिर मचलते हैं अरमां आज
आज मन भटकने लगा
दिल कहीं बहकने लगा
तन बदन मचलने लगा
जाने कैसा मीठा मीठा
आके कोई ठाम लो मुझे
नशा सा छाया है आज
फिर मचलते हैं अरमां आज

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