Friday, April 3, 2015

नन्हीं चिड़ियाँ


मुरझाई सी आशायें हैं लेकिन
खिलती हैं जीवन की कलियाँ
खिलती रहती हैं जीवन की कलियाँ
उसके जाते ही ऐसे
सब कुछ खाली खाली है
दिन बीते कट गई जैसे तैसे रतियाँ
पढ़कर बातों को उसकी
सुनकर सन्देश वो सारे
याद आती हैं वो सारी ही बतियाँ
देखो उसके कहने से
फिर आयीं हैं दर पे अपने
चीं चीं करती नन्हीं नन्हीं चिड़ियाँ
कैसा सँसार बनाया है
बस एक संदेशे से ही
मन के आँगन में महकी खुशियाँ

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