Monday, April 20, 2015

कर्म प्रधान

धर्म प्रवर्तक जीते थे अपना जीवन
कर्म महान समझते थे वे फिर भी

ज्ञान-ध्यान का अपना है आलम
कर्म प्रधान होता है यहाँ फिर भी

कर्म-पथ पर भी बाधाएं हैं अनेक
बढ़ते रहना ही तो कर्म है फिर भी

कर्म का फल फलता-मिलता सदा
निष्काम कर्म श्रेष्ठ है यहाँ फिर भी

कर्म ही धर्म यहाँ होता है जिनका
सत्कर्म सद्बुद्धि है देता उनको भी


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