Saturday, July 21, 2012

काफ़ी है

एक क़तरा ही हो सही
रौशनी काफ़ी होती है ज़िन्दगी में
मुट्ठी भर भी हो चाहे धूप सही
काफ़ी है सुनहरी रंगत के लिए
मुस्कराहट एक छोटी ही सही
काफ़ी है खुशनुमा माहौल के लिए
कभी चाँदनी धूमिल ही सही
काफ़ी है अँधेरे में चलने के लिए
अपना न सही बेगाने ही सही
काफ़ी है सफ़र में सहारे के लिए
तुम्हारा साथ लम्बा न सही
काफ़ी है फिर इन्तज़ार के लिए
हासिल हो जो सब चाहा न सही
काफ़ी है ज़िन्दगी जीने के लिए

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