कल बारिश होती रही रात भर
बूँदों के टपकने की आवाज़ में
छुप गया कोलाहल आस पास
पर मन के ख़याल आते ही रहे
मुझे तनहा समझ कर रात भर
घर बाहर सब तरबतर हो गए
मेरे ज़ज्बात भी भीगे थे रात भर
सुबह उजली धूप के नए उजाले
अच्छा हुआ सब कुछ बदल गए
छाये नज़ारे जो भी थे रात भर
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