Sunday, July 29, 2012

रात भर

कल बारिश होती रही रात भर बूँदों के टपकने की आवाज़ में छुप गया कोलाहल आस पास पर मन के ख़याल आते ही रहे मुझे तनहा समझ कर रात भर घर बाहर सब तरबतर हो गए मेरे ज़ज्बात भी भीगे थे रात भर सुबह उजली धूप के नए उजाले अच्छा हुआ सब कुछ बदल गए छाये नज़ारे जो भी थे रात भर

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