Friday, July 27, 2012

ताज़ा/Reminiscences

आज भी ताज़ा है याद उस घर की जहाँ हम बड़े हुए जब भी हँसते खेलते किलकारियां मारते बच्चे देखता हूँ बचपन याद आ जाता है और उससे जुडी सब यादें लोग और परिवेश मन मानो कहीं इतिहास में विचरण करता फिर वापस आने पर एक ठण्डी साँस और सिहरन करने लगती है कल्पना लोक से बीते पल में जाने का असफल प्रयास Reminiscences as if yesterday! Of the home our sweet home We we were raised Whenever I come across Laughing happy children playing around with laughter I visualize my childhood And the people, environment That were associated with My mind wanders in history And when it returns to present Unsuccessfully tries to Reach-out to the dream world With a deep sigh!

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