मुझे मेरी दृष्टि में
कोई नहीं देख सकता
कई बार मैं भी नहीं
इसलिए शायद
मान-अपमान
पसन्द नापसन्द
सब कुछ मात्र
मेरे मन का अंतर्द्वंद
Me from my perspective
No one else can view
At times not even me
Perhaps that's why
Respect, disrespect
Liking disliking
Everything is merely
Contradictions of my mind!
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