संभाला होश जब बड़ी उम्मीद से जीते आए
हर किसी की ख़ुशी देख हम हमेशा मुस्कुराए
बहारों की बयार को समझते अपने हमसाये
हम इंतज़ार में बैठे जो चाहे हमें उड़ा ले जाए
किसी दरिया की मंझधार से हम जूझते आए
क्या मालूम कब इस दरिया में उफान जाए
किसी समंदर के अन्दर से हैं हम रहते आए
फिक्र होती है कब कौन बड़ी मछली खा जाए
डर नहीं लगता हम डर के साथ में जीते आए
सहारे बस अपने कोहराम हर कोई मचा जाए
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