आँसू के कोई सैलाब नहीं होते
आँसुओं का समन्दर अलग है
इनका नमकीन स्वाद ज़रूर है
पर सिर्फ स्वाद से क्या होता है
समंदर का पानी तो अलग है
आँसू का पर हर क़तरा जुदा है
आँसू में जाने कितने ज़ज्बात हैं
समन्दर में कब कोई ज़ज्बात है
आँसू तो सिर्फ़ अपने खुद के हैं
समन्दर का पानी उधार का है
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