Sunday, July 28, 2013

तीज

ये तीज क्या आया
श्रीमान वी आइ पी हो गए
हमने रखे सावन के व्रत
वो फूल के कुप्पा हो गए
क्यों न होते भला
पहले सिर्फ पति थे
अब प्राणनाथ हो गए
हम करते रहे दुआएं
उनकी सलामती की
वो थे कि अब दिन में भी
शराबी हो गए
जानते हैं सावन है
हमने उन्हीं के लिए
ये उपवास भी रखा है
लगाम अब ढीली कर दी है
तो बस बेलगाम हो गए
जाने हम भी कब समझेंगे
ये आग मर्दों की लगाई है
हमने जान बुझकर यूँ बस
रीत अब भी निभाई है
इसी ने इनकी हिम्मत
और ज्यादा बढ़ा दी है
संस्कृति के नाम पर
ऐसी सीख दे दी है
ज़रा सा झूले का लालच देकर
हमारी आज़ादी छीन ली है
अब हम तक़ाज़ा करते हैं
हमरी सलामती की दुआ को
इन पर कौन सी रोक लगी है!

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