Tuesday, December 17, 2019

तुम्हारी भी जय हमारी भी

तुम्हारी भी जय हो हमारी भी जय हो
सबको खुशी हो कुछ ऐसी विजय हो

तुम्हें जो भाये हमें क्यों वो भाए
डगर हैं चले संग हम संग ऐसे आए
उठायें कदम संग कुछ ऐसी ही लय हो!

कभी तुम थको तो कदम रोक लेंगे
कभी हम रुके तुम कदम थाम लोगे
मंजिल हो साझा ये सफ़र ऐसे तय हो!

हिल मिल चलेंगे नई लीक रचेंगे
ख़ुशी और ग़म भी बराबर बंटेंगे
सफ़र हो सुहाना मनभावन समय हो!

कुछ तुम सुनो कुछ हम भी सुनेंगे
कोई लाख चाहे हम कभी न बंटेंगे
रफ़िक़ों के प्यालों में ख़ुशियों की मय हो!

तुम्हारी भी जय हो हमारी भी जय हो! 

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