निष्पादन कार्य का किया नहीं
बस शब्दों के वाण चलाते हो
जन-जन का तन-मन कष्ट में
बस अपने तुम प्राण बचाते हो
रक्षा के झूठे आवाहन भ्रम से
मरीचिका दृश त्राण स़जाते हो
अपने वचनों की बू के छल से
क्यों वृथा तुम घ्राण बढ़ाते हो
स्वयं प्रस्तर-सम हर ओर बने
हम को क्यों पाषाण बताते हो
जो प्रकट सत्य तुम झुठला देते
औरों को क्यों संज्ञान कराते हो
बस शब्दों के वाण चलाते हो
जन-जन का तन-मन कष्ट में
बस अपने तुम प्राण बचाते हो
रक्षा के झूठे आवाहन भ्रम से
मरीचिका दृश त्राण स़जाते हो
अपने वचनों की बू के छल से
क्यों वृथा तुम घ्राण बढ़ाते हो
स्वयं प्रस्तर-सम हर ओर बने
हम को क्यों पाषाण बताते हो
जो प्रकट सत्य तुम झुठला देते
औरों को क्यों संज्ञान कराते हो
No comments:
Post a Comment