Friday, December 20, 2019

प्राणवायु

तुम अपार नयनाभिराम
मनमोहक राग वासंती हो
छेड़ राग की धुन ऐसी
जीवंत गीत गाते रहना!
प्राणवायु सदृश हो तुम
सांसों को बल देते रहना
मेरे जीवन में प्रतिपल
थड़कन का त्राण किये रहना!
दिव्य अलौकिक आभा हो
बनकर प्रकाश की झिलमिल
इर्द गिर्द मेरे भी रहकर
आलोकित करते रहना!
आशा भी तुम अभिलाषा भी
इक पल में तुम प्रत्याशा सी
तुम जगदृष्टा हो ज्ञानवान
ज्ञान सरित बन बढ़ते रहना!
मैं मुक्तकंठ से करुं प्रशंसा
तुम करतल ध्वनि करते रहना
तुम ख़ुशी सुहानी जीवन की
विहग से कलरव करते रहना!

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