जन्म-मरण जीवन की गति हैं
निशदिन जीवन नूतन आशा
खेल निराले जगत विलक्षण
आशा फिर कुछ नई प्रत्याषा
जीर्ण देह पर गुमान करे जन
वह तार तार हो जी भर तरसा
समभाव करे आशा-प्रत्याषा
है सच्चा प्यार उसी पर बरसा
जग का सार है उतना समझा
जिसने जितना स्वयं तराशा
प्रतिदिन सामंजस्य विलोचन
बाजीगर का है अजब तमाशा
निशदिन जीवन नूतन आशा
खेल निराले जगत विलक्षण
आशा फिर कुछ नई प्रत्याषा
जीर्ण देह पर गुमान करे जन
वह तार तार हो जी भर तरसा
समभाव करे आशा-प्रत्याषा
है सच्चा प्यार उसी पर बरसा
जग का सार है उतना समझा
जिसने जितना स्वयं तराशा
प्रतिदिन सामंजस्य विलोचन
बाजीगर का है अजब तमाशा
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