Tuesday, August 30, 2011

भस्मीभूत

मेरे पास आज भी संजोई हैं
वो सारी ही भावनाएं मेरी
कई कारणवश इनको यहाँ
मैंने सम्भाल कर रखा है
बड़ी मेहनत और उत्साह से
मूल रूप में न भी हो पायें
फलीभूत होंगी और रूप में
ऐसा भी न हो पाया तो भी
ज़रूर संभाले रखूँगा इनको
मेरे ही जीवन की कोई एक
मेरे लिए मेरी ही धरोहर
अब ये भी हो पाएंगी सिर्फ
मेरे ही साथ भस्मीभूत

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