Friday, August 26, 2011

उम्मीद मेरी

उम्मीद मेरी पूछने लगी है मुझसे; अब वो सुबह कब आयेगी
मुझे भी तुम्हारे इन सपनों को; वह सच होता जब दिखाएगी
कितना इंतजार होगा करना; जब सपनों में सच सजाएगी
कहें ऐसा तो नहीं होगा कहीं; मुझे ही तुम्हारे आगे झुठलाएगी

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