Saturday, November 5, 2011

राय

सभी ने उसे आम आदमी मान
उसकी राय महत्वपूर्ण समझी थी
सरकारी आँकड़ों की मोहताज़
अर्थव्यवस्था के मानदंड मानो
उसके अस्तित्व का मज़ाक़ उड़ाते
लोगों ने पूछा था उससे भी
क्या ख़याल है जनाब आपका?
पेट्रोल के दाम जो बढ़े उस पर!
उसने एक नज़र भर देखकर
लम्बी साँस ले चुप्पी भर ली थी
उन्हें शायद एहसास तक न था
कहीं बड़ी थीं उसकी समस्याएं
सिर्फ पेट्रोल के बढ़े दाम से
वह सोचता ज़रूर था किन्तु
उसके लिए तो हर प्रश्न ही
एक मिथ्या आचरण मात्र था
उसे जीने के लिए हर पल ही
हर ओर संघर्ष ही करना था

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