कभी आकर अपने ही ख्यालों में
देखोगे अगर मेरी ही तरफ तुम
अपनी ही नहीं मेरी नज़र से कभी
हम तब कुछ और ही आएंगे नज़र
और होगा अपना अंदाज़ भी जुदा
तुम बच नहीं पाओगे उस रोज़ फिर
अपनी ही मुस्कराहट के असर से
हम तो अक्सर इसी फितरत से
और ऐसे ही आलम के चलते बस
बचते नहीं तुम्हारी मुस्कराहट से
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