Sunday, November 6, 2011

अधूरे

मुझको रोको न आज मुझको टोको न आज
जाने क्यों आज दिल मेरा मेरे बस में नहीं
थोड़ी नादान सी कुछ परेशान सी हसरतें
आज जाने क्योंकर कहीं भी ठहरती नहीं
आज रहने दो अधूरे सारे सवाल आपके
आज दूँ कोई मैं ज़वाब कुछ ज़रूरी नहीं
तुम ही सोचो तुम्हारी मंजिलों का पता
कभी लौट के भी मैं आऊँ ये ज़रूरी नहीं

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