Tuesday, November 29, 2011

ज़िन्दगी

बड़ी अज़ीब ओ ग़रीब होती है ये ज़िन्दगी
मुझे हर रंग में फिर भी भाती थी ज़िन्दगी
कभी कहीं कभी कहीं छकाती थी ज़िन्दगी
फिर भी रोज़ नए पाठ पढ़ाती थी ज़िन्दगी
छोटी छोटी बातों पर चहकती थी ज़िन्दगी
बड़ी बड़ी बातों से हमें सताती थी ज़िन्दगी
रोज़ नए नए तरीकों से डराती थी ज़िन्दगी
फिर भी मुझसे कभी नहीं रूठी थी ज़िन्दगी
मुझे उदास देख हँसाना चाहती थी ज़िन्दगी
मुझे हँसाने चली थी पर रुला गई ज़िन्दगी

1 comment:

Udaya said...

जी शुक्रिया:)