Sunday, December 1, 2013

तन्हाइयों के सहारे तन्हाइयाँ

कभी-कभी अब भी यहाँ
अच्छी लगती हैं
लेकिन कुछ डराती सी हैं
अब ये तन्हाइयाँ
तनहा माहौल जब
ख़ौफ़ज़दा लगता है
ख़ुद से बातें करता हूँ
अक्सर दिलासा देता मन
फिर भी कभी-कभी
नहीं साथ निभाता
मुझे कहीं दूर ले जाता
कुछ अपने कुछ अनजान
अतीत व वर्त्तमान के
सायों के आस-पास
एक गहन सन्नाटा
मौन के आगोश में
और डराने लगता है
ऐसे हालात में बस
तन्हाइयों के सहारे ही
रह जाती हैं तन्हाइयाँ


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