Saturday, December 28, 2013

अलग़-अलग़

कल वक़्त अलग़ था
आज बात अलग़ है
कल लोग अलग़ थे
आज साथ अलग़ है
कल नाउम्मीदी सुबक रही थी
आज उम्मीद सुलग रही है
कल अंधकार था दावानल का
आज़ मधुमास की शीतलता है
कल उष्ण-शीत मौसम था
आज वसंत बहार छाई है
कल रुसवाइयाँ बहुत थीं
आज अच्छाइयों की लत है
कल सही बात ग़लत थी
आज ग़लत बात ग़लत है
कल वक़्त अलग़ था
आज बात अलग़ है

1 comment:

अनुपमा पाठक said...

कल वक़्त अलग़ था
आज बात अलग़ है
***
So true!