Saturday, December 28, 2013

इस नए साल में

इस नए साल में हर नई बात हो
ग़म न कोई रहे बस ख़ुशी साथ हो
आज के साथ कल की भी बात हो
मेरी-तेरी नहीं हम सभी की बात हो
भूल कर भी कोई भूल हमसे न हो
कोई मसला अगर आपसी बात हो
सब की शिरक़त का ऐसा आग़ाज़ हो
मुझसे पहले वतन ऐसे ज़ज्बात हों
है ये साझा ख़ुशी है ये साझा जहाँ
तेरी ख़ुशियों में मेरी ही सौगात हो
दुश्मनों की हो अब दुश्मनी से दुश्मनी
यूँ अमन चैन की ऐसी बरसात हो

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