Saturday, December 4, 2010

अक्षरशः

अक्षरशः
हाँ मैंने भी फैसला लिया है
हर बात अक्षरशः नहीं मानती
एक गुल गुलशन में देख
मैं उसे गुलज़ार नहीं मानती
तुम जिसे ज़रूरी मानते हो
मैं तो उसे फ़िज़ूल हूँ मानती
मेरी ज़रूरत सिर्फ तुम नहीं हो
मैं तुम्हारी सोच नहीं मानती
मैं विद्रोही अभी नहीं बनूँगी
तुम्हारी हर बात नहीं मानती
मखमल का ही सही, परन्तु
मैं वो पैबंद बनना नहीं चाहती
तुम्हें अगर है इनकार तो कहो
मैं हर बात आभार नहीं मानती

2 comments:

babanpandey said...

मैं विद्रोही अभी नहीं बनूँगी//
मैं हर बात आभार नहीं मानती//
i m speechless sir //

Udaya said...

Babbanji Shukran:)