Saturday, December 11, 2010

अलबत्ता

अलबत्ता
तब मैं चाहे यदा कदा सही
कर दिया करती थी तुमसे
अपनी अपेक्षाओं का बखान
अब मैं दोहराना नहीं चाहती
तब के मेरे उस व्यव्हार को
तुम समझ नहीं पाओगे इसे
मैं तुम्हें दोष भी नहीं देती
पर समझाना भी नहीं चाहती
मैं जानती हूँ यह भी अलबत्ता
तुम कभी समझ नहीं पाओगे
फिर भी दोषारोपण नहीं करती

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