Tuesday, December 21, 2010

एकतरफा

उसकी एक झलक ने कभी
दुनियां आबाद की थी मेरी
सोते जागते बस वही चेहरा
दिखाई देने लगता था मुझे
एकतरफा ही सही लेकिन
मुझे तो एहसास था उसका
आज अचानक फिर वो चेहरा
मेरे समक्ष रूबरू मौजूद था
वक़्त ने उम्रदराज़ कर दिया
पर मुझे सब याद आता था
मेरी मुस्कराहट के राज का
उसने कारण जानना चाहा
मैं आज भी शर्मा गया था

5 comments:

geekays said...

BAHOT ACHAA LIKHA HAI,AUR LAGTA HAI ISKE ANDAR KAHIN NA KAHIN SACHHAI ZARUR CUPI HAI.....

Renu Mehra said...

वाह पन्त जी ....बहुत सुंदर और वास्तविक लगता है ..
कोई गुजरा ज़माना याद आ गया....
कोई किस्सा पुराना याद आ गया ..
मिलती जुलती है कहानी यहाँ सभी की .. हैं नसीबों वाला वो जिसे अपना प्यार पा गया

Hem Pant said...

तुम आये तो हमको याद वो फिर भूला हुआ किस्सा याद आया.... फिर तेरी कहानी याद आई, फिर तेरा फसाना याद आया...

asha said...

atit,vartman aur bhavishy ki apni-apni khaniyan hai.waqt ke nakshe kadam bahut kuch cheen lete hai..par atit ki jhimilati yaden to sabhi ko achi lagti hai.sach likha hai aapne.

Unknown said...

Daaju..Hameh to ab bhi wo gujra jamana yaad hai......really great...lines in "एकतरफा" Sab kuch EkTarfa hi rah jata hai...