Monday, December 20, 2010

शाब्दिक

अब कर दो बंद ये सब तुम्हारी
सहानुभूति एवं इसका प्रदर्शन
वास्तव में भी तो यह है मात्र
एक सांकेतिक और शाब्दिक सी
कहीं किसी रोज़ ज़ब भी होगा
आभास हमारी पीड़ा का तुम्हें
तब ही फिर तुम बतलाना हमें
छोड़कर इन खोखले वादों को
घावों पर मलहम न भी सही
नमक छिड़कना बंद करो अब
अपनी राजनीति प्रदर्शन त्याग
हमें हमारे हाल पर तो रहने दो

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