अब कर दो बंद ये सब तुम्हारी
सहानुभूति एवं इसका प्रदर्शन
वास्तव में भी तो यह है मात्र
एक सांकेतिक और शाब्दिक सी
कहीं किसी रोज़ ज़ब भी होगा
आभास हमारी पीड़ा का तुम्हें
तब ही फिर तुम बतलाना हमें
छोड़कर इन खोखले वादों को
घावों पर मलहम न भी सही
नमक छिड़कना बंद करो अब
अपनी राजनीति प्रदर्शन त्याग
हमें हमारे हाल पर तो रहने दो
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