व्याप्त
भूल जाना चाहता था मैं
पुरानी जिन आवाजों को
वो अब भी बुलाती हैं मुझे
पंचम सुर में पुकारतीं हैं
मानो पूछती हुई मुझसे
कहाँ तक कोशिश करोगे;
कितनी दूर भागोगे?
हम तो अचल हैं हमेशा
व्याप्त मन मस्तिष्क में तेरे
जितना भुलाना चाहोगे
हमें ही तो याद करोगे!
1 comment:
bhoolne ki koshishen yaadon ko aur majboot karti hain..!
sahaj abhivyakti!
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