जिनसे सीखी थी वफ़ा हमने
उन्हीं ने है अब मुंह मोड़ लिया
दर्द का ही सही पर हमने तो
उन्हीं से है रिश्ता जोड़ लिया
पास वो न भी हुए तो क्या
उनकी यादें आस-पास तो हैं
हमने हमदम के इशारे पे
कहीं का भी रुख न किया
अब भी जीता हूँ बहुत खूब
मैंने किसी से गिला न किया
वक़्त की दरिया में बहकर
समंदर का दीदार कर लिया
2 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति!
bahut khoob. dariya me jo utra paar bhi hua.samundar me jo dooba ratno se guljar hua.
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