Saturday, November 16, 2013

चाँद तेरे कितने रूप

चाँद तेरे कितने रूप हैं
हर अदा में तू बेमिसाल
सूरज के छुपने के बाद तू
उसकी रौशनी की उष्णता
सह कर हम तक पहुँचाता
प्रकाश व उसकी शीतलता
अमावस के बाद आता है
तू दूज का चाँद बन कर
प्रेमियों कि आशा बन कर
कवियों कि कल्पना बन
बढ़ते अर्धचंद्र के वेश में
पूनम के चाँद की प्रतीक्षा
जीवन की आशा जगाता सा
फिर उलट क्रम में घटते
अमावस के अँधेरे में छुप
बस एक रात के लिए
फिर उज़ालों का सन्देश दे
बढ़ने-घटने के क्रम में

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