Wednesday, November 20, 2013

डर लगता है

मुझे डर लगता है
रातों-रात अमीर बनने के
लोगों के जज्बातों से
औरों का ख़ून चूस कर
अपनी झोली भरते लोगों से
कुछ भी कर गुजरने की
मंशाओं के जुनून से
उनके जीने के उसूलों से
बदलते वक़्त के साथ
लोगों की हवस की खातिर
ख़वातीन के हालात से
ख़ून ख़राबे और क़त्ल की
मज़हब के नाम पर
इंसानियत की रुसवाई से
सियासत और लोगों में
मुल्क़ तक दाँव पर लगा
अपनी तिज़ोरी भरने से
तरक्क़ी के नाम पर होती
हर चीज की तबाही से
अख़बार में ख़बरें पढ़ कर
अपने बारे में सोच कर
कुछ भी न कर पाने से

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