मैं और तुम!
मैं!
समझ लूँगा
ये कोई सपना था
टूट गया
तुम!
मत करना
रुसवाई मोहब्बत की
अपनी ही खातिर सही
अगर चाहो!
बेझिझक तुम
किसी और को दे देना
मेरे हिस्से की मोहब्बत
मैं!
कोई शिक़वा न करूँगा
बस दुआ करूँगा
तुम!
मेरी मोहब्बत तो
भुला न पाओगी
ख़ुश रहना
मुझे भुला देना!
No comments:
Post a Comment