Saturday, October 8, 2011

उजागर


सूरज के उदय होते ही देखो तो
रात के अंधियारे हैं कहाँ खो गए
कितने लोगों के हैं तुम देख लो
कई राज इधर उजागर हो गए
लगता है फिर शाम आयेगी यहाँ
कई लोग कई कारण बेसब्र हो गए
दिन भर के शोर के पल फिर सब
रात की तनहाइयों में हैं खो गए
कितने साथी इस रात के हैं पर
फिर भी कई लोग तनहा हो गए
सितारों का नज़ारा करते करते ही
चाँद को ही सब कोई बिसरा गए

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