Monday, October 31, 2011

यदा कदा

बिस्म्रित से हो गए लोग भी
याद तो आ जाते हैं यदा कदा
बिलकुल अपनी ही यादों से
गूंजने लगती है उनकी सदा
मानो कल की ही सी हो बात
कल के ही सब पल हों सर्वथा
बस समय निकल चुका हो
पर अंकित हों मन में सर्वदा
किसी रूहानी या ज़ज्बाती से
सवाल भी आ जाते यदा कदा

1 comment:

babanpandey said...

.बहुत खूब /अति सुंदर //